असंभावनाविपरीतभावनासहितः ब्रह्मात्मैक्यस्य निश्चयः अदृढापरोक्षब्रह्मज्ञानम्॥
“वेदान्तः किं जीवब्रह्मणोः भेदं प्रतिपादयति उत अभेदं” इति प्रमाणगतसंशयः। “जीवब्रह्मणोः भेदः सत्यः उत अभेदः सत्यः” इति प्रमेयगतसंशयः। अयं द्विप्रकारकः संशयः असंभावना इति कथ्यते।
“जीवब्रह्मणोः भेदः सत्यः, देहादिप्रपञ्चः सत्यः” इति विपरीतनिश्चयः विपरीतभावना इति कथ्यते।
What is adr̥ḍha aparokṣa brahma jñāna
Unsteady aparokṣa (direct) brahma jñāna is mixed with the defects of asaṁbhāvanā (doubt) and viparīta bhāvanā (false conclusions).
अदृढअपरोक्षब्रह्मज्ञान सो क्या है
उत्तर – (१ अदृढअपरोक्षब्रह्मज्ञानका स्वरूप)
*१५ असंभावना और विपरीतभावना *१६ सहित जो
ब्रह्माआत्माकी एकताका निश्चय होवै।
सो अदृडअपरोक्षब्रह्मज्ञान है ॥
*१५.
१ “वेदांतविषै जीवब्रह्मका भेद प्रतिपादन किया है किंवा अभेद?” यह प्रमाणगतसंशय है। औ
२ “जीवब्रह्मका भेद सत्य है वा अभेद सत्य है?” यह प्रमेयगतसंशय है॥
यह दोनूं प्रकारका संशय असंभावना कहिये है।
*१६. “जीवब्रह्मका भेद सत्य है औ देहादिप्रपंच सत्य है” ऐसा जो विपरीतनिश्चय। सो विपरीतभावना है॥