| पूर्वमीमांसा | उत्तरमीमांसा | न्यायः | वैशेषिकः | साङ्ख्यः | योगः | |
| जगत् | स्वरूपतः अनादि-अनन्त-प्रवाहरूप-संयोग-वियोगवत् | नामरूप-क्रियात्मक-मायायाः परिणामः चेतनस्य विवर्तः | परमाणुतः संयोगवियोगजन्यः आकृतिविशेषः | न्यायानुसारम् | प्रकृतिपरिणाम-त्रयोविंशति-तत्त्वात्मकम् | साङ्ख्यासुसारम् |
| जगत्कारणम् | जीवस्य अदृष्टं, परमाणुश्च | अभिन्न-निमित्तोपादान-ईश्वरः | परमाणुश्च ईश्वरादि नव च | न्यायानुसारम् | त्रिगुणात्मिका प्रकृतिः | कर्मानुसारं प्रकृतिश्च तन्नियामकः ईश्वरश्च |
| ईश्वरः | x | माया-विशिष्ट-चैतन्यम् | नित्य-इच्छा-ज्ञानादि-गुणवान् विभुः कर्ता | न्यायानुसारम् | x | क्लेशकर्मविपाक-आशय-असंबद्ध-पुरुष-विशेषः |
| जीवः | जडचेतनात्मकं विभु नाना कर्ता भोक्ता | अविद्याविशिष्टचैतन्यम् | ज्ञानादिचतुर्दश-गुनवात् कर्ता भोक्ता जडः विभुः नाना | न्यायानुसरार्म् | असङ्गः चेतनः विभुः नाना भोक्ता | असङ्गः चेतनः विभुः नाना कर्ता भोक्ता |
| बन्धहेतुः | निषिद्धकर्म | अविद्या | अज्ञानम् | न्यायानुसरार्म् | अविवेकः | अविवेकः |
| बन्धः | नरकादिदुःखसंबन्धः | अविद्यातत्कार्यम् | एकविंशतिदुःखानि | न्यायानुसरार्म् | अध्यात्मादि-त्रिविधं दुःखम् | प्रकृतिपुरुषसंयोगश्च अविद्यादिपञ्चक्लेशाः |
| मोक्षः | स्वर्गप्राप्तिः | अविद्यातत्कार्यनिवृत्तिपूर्वकं परमानन्दब्रह्मप्राप्तिः | एकविंशतिदुखध्वंसः | न्यायानुसरार्म् | त्रिविधदुःखध्वंसः | प्रकृतिपुरुषसंयोगाभावपूर्वकं अविद्यादिपञ्चक्लेशनिवृत्तिः |
| मोक्षसाधनम् | वेदविहितकर्म | ब्रह्मात्मैक्यज्ञानम् | ईश्वरभिन्नात्मज्ञानम् | न्यायानुसरार्म् | कृतिपुरुषविवेकः | निर्विकल्पसमाधिपूर्वकं विवेकः |
| अधिकारी | कर्मकलासक्तः | मलविक्षेपदोषरहितः चतुष्टयसाधन-संपन्नः | दुःखजिहासुः तर्की | न्यायानुसरार्म् | सन्दिग्धः विरक्तः | विक्षिप्तचित्तवान् |
| आचार्यः | जैमिनिः | वेदव्यासः | गौतमः | कणादः | कपिलः | पतञ्जलिः |
| प्रधानकाण्डम् | कर्मकाण्डम् | ज्ञानकाण्डम् | ज्ञानकाण्डम् | न्यायानुसरार्म् | ज्ञानकाण्दम् | उपासनाकाण्डम् |
| वादः | आरम्भवादः | विवर्तवादः | आरम्भवादः | न्यायानुसरार्म् | परिणामवादः | परिणामवादः |
| आत्मपरिणामसङ्ख्या | विभु नाना | विभु नाना | विभु नाना | न्यायानुसरार्म् | विभु नाना | विभु नाना |
| प्रमाणानि | षट् ६ | षट् ६ | प्रत्यक्षं अनुमानं उपमानं शब्दः ४ | प्रत्यक्षं अनुमानम् २ | प्रत्यक्षं अनुमानं शब्दः ३ | प्रत्यक्षं अनुमानं शब्दः ३ |
| ख्यातिः | अख्यातिः | अनिर्वचनीयख्यातिः | अन्यथाख्यातिः | न्यायानुसरार्म् | अख्यातिः | अख्यातिः |
| सत्ता | जीवजगतां परमार्थसत्ता | परमार्थरूपात्मकसत्ता व्यावहारिक-प्रातिभासिक-जगत्सत्ता | जीवजगताः परमार्थसत्ता | न्यायानुसरार्म् | जीवजगतां परमार्थसत्ता | जीवजगतां परमार्थसत्ता |
| उपयोगः | चित्तशुद्धिः | तत्त्वज्ञानपूर्वकं मोक्षः | मननम् | न्यायानुसरार्म् | त्वंपदार्थशोधनम् | चित्तैकाग्र्यम् |